तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै । सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा । जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥ दुर्गम काज जगत के जेते । कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥ जो सत बार पाठ कर कोई । tumaTumaYou rakshakaRakshakaProtect https://marieu986zgl2.tusblogos.com/profile